Wednesday, September 14, 2022

राष्ट्रीय हिंदी दिवस


" हिंदी महज भाषा नहीं है, यह माँ हमारी, हमको रचती है " आशुतोष जी की यह सुप्रसिद्ध पंक्ति हिंदी भाषा का सम्मान करते हुए, उस पर सटीक बैठती है। प्रत्येक वर्ष १४ सितमबर को मनाया जाने वाला राष्ट्रीय हिंदी दिवस, यूं तो भारतीय संविधान द्वारा हिंदी को भारत की आधिकारिक भाषा के रूप में स्वीकारने का उपलक्ष है। इस ७३ साल पहले किए गए आधारभूत एकमत के चलते, आज विश्व में हिंदी बोलने और समझने वालों की संख्या ८० करोड़ से ज्यादा हो गई है। इस सिफारिश का मुख्य उद्देश्य इस दिन को मनाना और भाषा के मूल्य पर जोर देना था।

किन्तु, आज इतने वर्षों बाद, इस अनुष्ठान पर कुछ सवाल उठते हैं। इस विश्व प्रख्यात भाषा को मनाने के लिए, उसका सम्मान करने लिए, एक विशेष दिन की क्या आवश्यकता है? क्यों इस घर-परिवार एवं प्रेम की भाषा के लिए केवल एक दिन ही समर्पित किया जाता है? क्या हिंदी एक भाषा के रूप में स्वीकारी जाती है, अथवा एक विषय के रूप में? और क्या वाकई आज भी हिंदी भारत की राष्ट्रभाषा है?
उपर्युक्त प्रश्नों के कई विभिन्न उत्तर हो सकते हैं। परंतु एक जवाब अपने आप में अटल रहता है, की आज भी, हिंदी भारत की राष्ट्रभाषा है। ना केवल हिंदी, भारत में बोली जाने वाली सारी भाषाएँ भारत की राष्ट्र भाषाएँ हैं। यह सभी भाषाएँ और उनसे जुड़ी उनकी अपनी संस्कृतियाँ, साहित्य, इतिहास, इतिहास पुरुष, व विलक्षण महिलायें भारत की रचना में उतनी ही सहभागी हैं जितनी की हिंदी।

क्रांतिपिता स्वामी दयानंद सरस्वती जी के कथन के अनुसार- भूल करना बुरा नहीं है, भूल करते रहना बुरा है। हम अपनी आजीविका की भाग दौड़ में इतने व्यस्त हो जाते हैं के उस बीच, अपने लक्ष्य को ही भूल जाते हैं। थोड़ा रुक कर, सोच विचार कर अगर ज्ञान की दिशा की ओर ध्यान दिया जाए, तो हिंदी भाषा द्वारा प्रचारित जीवनशैली मन के बंद ताले खोल सकती है। आज, कहने को तो, भारत के अनेक विद्यालयों में हिंदी पढ़ाई जाती है, मगर एक विषय के रूप में, नाकी एक भाषा के रूप में। अगर इस शिक्षा को हमारे लक्ष्य से जोड़ा जाए, अगर इसमे भी देश और स्वयं की प्रगति की छवि खोजी जाए, तो हिंदी भाषा पुनः एक सर्वश्रेष्ठ रचनाकार बनने में सक्षम सिद्ध हो सकती है। हिंदी भाषा द्वारा बताए गए आत्मा और ज्ञान के पथ पर हमारा सांस्कृतिक समाज खड़ा हो सकेगा। साथ ही साथ, इसे हर दिन याद रखा जा सकेगा और आज के दिन, निष्कपटता से मनाया भी जा सकेगा।

इस विचार को अमल करने के लिए अपने कर्तव्य को समझना, सारी भाषाओं के साथ सहज महसूस करना और जितना संभव हो, उतना उनकी रोजमर्रा की शब्दावली को बातचीत में शामिल करना, अत्यंत आवश्यक है। 

वादसभा की ओर से सभी देश्वसियों को राष्ट्रीय हिंदी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ।

वादसाभा सदस्य
- स्नेहा जैन


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