Saturday, January 9, 2021

      वैश्विक स्तर पर हिंदी 

      आज १० जनवरी, याने की विश्व हिंदी दिवस| पर सच में क्या हिंदी दिवस वैश्विक स्तर पर मनाने की जरुरत है? क्या हिंदी वैश्विक स्तर पर अपना योगदान देती है?

      इक्कीसवीं सदी बीसवीं शताब्दी से भी ज्यादा तीव्र परिवर्तनों वाली तथा चमत्कारिक उपलब्धियों वाली शताब्दी सिद्ध हो रही है। यदि हम यह मानकर चलें की इक्कीसवीं सदी में भारत और चीन की बड़ी भूमिका होगी, तो उसमें भारत की हिंदी और चीन की मन्दारिन की भूमिका बहुत तेज़ी से बढ़ने वाली है। ऐसे में वैश्विक स्तर पर भारत को हिंदी का प्रभाव बनाए रखने की जरूरत है।

      वैसे देखा जाए तो यह स्पष्ट होगा कि दिन-ब-दिन वैश्विक स्तर पर हिंदी का प्रभाव बढ़कर वह मजबूत हो रही है। आज विश्व में ६४ करोड़ लोगों की हिंदी मातृभाषा है। कुल मिलाकर १ अरब ३० करोड़ लोग आज विश्व में हिंदी का किसी ना किसी प्रकार से प्रयोग करते हैं। पिछली कुछ वर्षों में अमेरिका, कनाडा जैसे विकसित देशों में उसका फैलाव बढ़ रहा है। फिजी, डेन्मार्क, इंग्लैंड, मॉरीशस, अर्जेण्टीना जैसे राष्ट्रों में तो हिंदी दिन-ब-दिन लोकप्रिय हो रही है। फिजी में तो आठवीं कक्षा तक के बच्चों के लिए हिंदी पढ़ना अनिवार्य है। हिंदी की लोकप्रियता की वजह से फिजी में 'प्रशांत समाचार', 'शांति दूत' और अमेरिका में 'विश्वा', 'हिंदी जगत', 'विज्ञान प्रकाश' जैसे समाचार पत्र लगातार प्रकाशित होते हैं। ऑस्ट्रेलिया में द्वितीय भाषा या विषय के रूप में छात्र हिंदी पढ़ सकते हैं। साथ ही डेन्मार्क, इंग्लैंड में प्रवासी साहित्य की रचनाओं के माध्यम से हिंदी का प्रसार हो रहा है। जब हम यह विश्वव्यापी हिंदी का प्रभाव देखते हैं, तो यह कहना अनुचित नहीं होगा कि 'अंग्रेजी' के होते हुए भी हिंदी ने अपना स्थान वैश्विक स्तर पर बनाया हुआ है और 'विश्व भाषा' बनने की तरफ वह मार्गोत्क्रमण कर रही है।

      जब हम वैश्विक स्तर पर हिंदी साहित्य की बात करते हैं, तो हम पूरे गर्व के साथ कह सकते हैं कि आज केवल भारतवासी लोग नहीं, बल्कि दूसरे लोग भी हिंदी साहित्य में अपना योगदान दे रहे हैं। महादेवी वर्मा, पुन्शी प्रेमचंद, म.गांधी, तोमियो मीझोकामी, होजुमि तनाका ऐसे बहुत से लोगों ने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर हिंदी साहित्य को अपना योगदान दिया है। जब हम पूरे विश्व में होने वाला हिंदी का प्रभाव देखते हैं, तो यह कहना उचित होगा की परोक्ष रूप से यह हिंदी भारत की संस्कृति का भी प्रसार करती है। मुझे लगता है यदि हम भारत को वैश्विक ताकत के रूप में उभरते हुए देखना चाहते हैं, तो उसमें हिंदी का वैश्विक स्तर पर होने वाला प्रभाव सर्वाधिक बहुमूल्य हो सकता है।

      हिंदी पत्रकारिता की वजह से, हिंदी फिल्मों के प्रति आकर्षण की वजह से और सोशल मीडिया के माध्यम से आज वैश्विक स्तर पर हिंदी लोग इकट्ठे हो रहे हैं। उसकी उपयोगिता को देखकर ही हर साल '१० जनवरी' को 'विश्व हिंदी दिवस' मनाया जाता है।

     आज जब इक्कीसवीं सदी में वैश्वीकरण के दबावों के चलते विश्व की तमाम संस्कृतियां एवं भाषाएं आदान-प्रदान व संवाद की प्रक्रिया से गुजर रही हैं, वहाँ हिंदी इस दिशा में विश्व मनुष्यता को निकट लाने में सेतु बनने का कार्य कर सकती है। तभी हिंदी अपनी प्रतिभाशीलता के साथ-साथ अपनी खुद की पहचान के रूप में समृद्ध रहेगी तथा विश्व जनमानस के दिलों पर राज करेगी। 

                                         

 -  तेजस शेंडे

    तृतीय वर्ष कला शाखा 

    (राज्यशास्त्र विभाग)

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